अमान्य डिग्रियों के सहारे लड़ रहे कई प्रतिनिधि पंचायत चुनाव
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव में नाम पत्रों की जांच और नाम वापसी के बाद यह भी साफ हो गया है कि पंचायतों में कुल पदों की तुलना में करीब 54 प्रतिशत प्रत्याशी ही चुनाव लड़ेंगे।वहीं करीब तीस प्रतिशत निर्विरोध चुने जा चुके हैं।
उत्तराखंड पंचायत चुनाव में सरकार ने प्रतिनिधि के दसवीं पास होने की अनिवार्यता की है। जिसके बाद कई प्रत्याशी चुनाव से बाहर हो गए हैं फिर भी कुछ ऐसे लोग ऐसी डिग्री के बल पर चुनाव लड़ रहे है जो पूर्व में कोर्ट द्वारा अमान्य करार दी जा चुकी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, इलाहाबाद की प्रथमा व मध्यमा [विशारद] डिग्री, हाईस्कूल व इंटर के समकक्ष नहीं है। ऐसे में इस डिग्री के आधार पर कई प्रत्याशी मैदान में उतरे हुए हैं।
हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, इलाहाबाद न तो विश्वविद्यालय है और न ही शिक्षा परिषद, यह सोसाइटी पंजीकरण एक्ट के तहत पंजीकृत सोसायटी है। यह शिक्षण संस्थान नहीं है क्योंकि यहां पढाई नही होती और न ही इससे संबद्ध कोई स्कूल या कालेज है। साथ ही, इसे किसी शिक्षा परिषद से मान्यता नहीं मिली है।
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तीनों पंचायतों में 5802 प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त हुए हैं। नामांकन निरस्त होने की चोट क्षेत्र पंचायतों के साथ ही जिला पंचायत पर भी पड़ी है। नामांकन पत्रों की जांच और वापसी के बाद आखिरकार रविवार को राज्य निर्वाचन आयोग तस्वीर साफ कर पाया। आयोग की ओर से दी गई सूचना ने पंचायत चुनाव की तस्वीर का चिंताजनक पहलू भी सामने रखा है।
किन पदों पर कितने नामांकन हुए निरस्त